SEBA Class 10- NEB KI ET- नींव की ईंट 2022

Class 10 SEBA Elective Hindi Alok (आलोक) Chapter solution & Chapter Summery...

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नींव की ईंट( अध्याय का सारांश)

नींव की ईंट वह उज्ज्वल, सुंदर, सघन इमारत, जिस पर वह टिकी हुई है? आप इसके पालने देखते हैं, क्या आपने कभी इसकी नींव पर ध्यान दिया है? दुनिया चकमक पत्थर को देखती है, ऊपर के कवर को देखती है, कितने लोग उस ठोस सच्चाई पर ध्यान देते हैं जो कवर के नीचे है? ठोस 'सत्य' हमेशा 'शिवम' होता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह हमेशा 'सुंदरम' भी हो। सत्य कठोर है, कठोरता और अनाड़ीपन एक साथ पैदा होते हैं और साथ रहते हैं। हम कठोरता से भागते हैं, कुरूपता से मुँह फेरते हैं, इसलिए सत्य से भी भागते हैं। नहीं तो हम नींव के गीत से भवन के गीत की शुरुआत करते। धन्य है वह ईंट, जो कटी हुई चट्टान पर चढ़कर दुनिया के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन, धन्य है वह ईंट, जो जमीन से सात हाथ नीचे गिर गई और इमारत की पहली ईंट बन गई! क्योंकि इस पहली ईंट पर, इसकी मजबूती और मजबूती पर, पूरी इमारत का अस्तित्व निर्भर करता है। उस ईंट को हिलाओ, कंगूरा बेतहाशा जमीन पर आ रहा होगा। हम जो कंगूर के गीत गाते हैं, अब हम नींव के गीत गाते हैं। जो ईंट जमीन में दब गई ताकि दुनिया को एक इमारत मिल जाए, एक कंगूरा मिल जाए! वह ईंट, जो सभी ईंटों से अधिक मजबूत थी, जिसे अगर ऊपर रखा जाता, तो वह सौ गुना सुंदरता बना देती!


                  लेकिन, जिसने भी देखा, इमारत की नींव उसकी नींव पर पड़ी है, इसलिए उसने खुद को नींव के लिए समर्पित कर दिया। ईंट, जिसने खुद को सात हाथ जमीन के नीचे दबा दिया ताकि इमारत जमीन से सौ हाथ ऊपर जा सके। जिस ईंट ने अंधे कुएं को अपने लिए स्वीकार कर लिया ताकि उसके ऊपर के साथियों को स्वच्छ हवा, सुनहरी रोशनी मिल सके। ईंट, जिसने अपने अस्तित्व को विलीन कर दिया ताकि दुनिया को एक सुंदर रचना दिखाई दे। सुंदर रचना! सुंदर रचना हमेशा बलिदान मांगती है, चाहे वह ईंट हो या व्यक्ति। एक सुंदर इमारत बनाने के लिए कुछ ठोस लाल ईंटों को चुपचाप नींव में जाना पड़ता है। सुंदर समाज का निर्माण होना चाहिए, इसलिए कुछ तपस्वी लोगों को मौन शहादत का लाल सेहरा पहनना होगा। शहादत और खामोशी! जिस शहादत ने शोहरत हासिल की, जिस कुर्बानी ने शोहरत हासिल की, वह इमारत का कंगूरा है-मंदिर का कलश। हाँ, शहादत और खामोशी! यह समाज की आधारशिला है। जीसस की शहादत ने ईसाई धर्म को अमर बना दिया, आप कह सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि ईसाई धर्म उन लोगों द्वारा अमर हो गया था जिन्होंने उस धर्म के प्रचार में खुद को गुमनाम रूप से दे दिया था। उनमें से कितनों को जिंदा जला दिया गया, कितनों को सूली पर चढ़ा दिया गया, कितने जंगल में घूम रहे जंगली जानवरों के शिकार हुए, कितने और भी भयानक भूख-प्यास के शिकार हुए। इनके नाम शायद ही कहीं लिखे हों- इनकी चर्चा कहीं कम ही होती है, लेकिन इनके गुणों के कारण ईसाई धर्म फल-फूल रहा है। वह नींव की ईंट थे, गिरजाघर के कलश उनकी शहादत से चमकते हैं।


उनके बलिदानों से ही नहीं, इतिहास में स्थान पाने वाले आज हमारा देश आजाद हुआ है। देश का कोई कोना ऐसा हो सकता है जहां कोई ऐसी दधीचि न रही हो, जिसके अस्थिदान से विदेशी वृत्रासुर का नाश हुआ हो। जो हम नहीं देख सकते वह सच नहीं है, यह एक भ्रम है। खोजने से ही सत्य मिलता है। ऐसी नींव की ईंटों पर ध्यान देना हमारा कर्तव्य, धर्म है। सदियों के बाद हमने एक नए समाज के निर्माण की दिशा में पहला कदम बढ़ाया है। इस नए समाज के निर्माण के लिए भी हमें नींव की ईंट चाहिए। काश, कंगुरा बनने की होड़ मची होती, बुनियाद की ईंट बनने की तमन्ना फीकी पड़ जाती! सात लाख गांवों का नया निर्माण! हजारों शहरों और कारखानों का नवीनीकरण करें! कोई शासक इसे संभव नहीं कर सकता। ऐसे युवाओं की जरूरत है, जो इस काम में खुद को चुपचाप खर्च कर दें। जो एक नई प्रेरणा से प्रेरित हैं, एक नई चेतना से अभिभूत हैं, जो प्रशंसा से दूर हैं, डाकुओं से अलग हैं। जिनमें कंगुरा बनने की इच्छा नहीं होती, वे कलश कहलाते हैं, जिनमें वासना नहीं होती। सभी इच्छाओं से दूर, सभी इच्छाओं से दूर। हमारा समाज उत्थान के लिए रो रहा है। हमारी नींव की ईंटें कहाँ हैं? ये है देश के युवाओं के लिए चुनौती!


नींव की ईंट

पूरे वाक्यों में उत्तर दीजिए : (1 अंक)

(क) रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: उनका जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर नामक गाँव में हुआ था।


(ख) बेनीपुरी जी को जेल क्यों जाना पड़ा?

उत्तर: उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सक्रिय सेनानी के रूप में जुड़े रहने और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल की यात्रा करनी पड़ी।


(ग) बेनीपुरी जी की मृत्यु कब हुई थी?


उत्तर: 1968 मैं।


(घ) एक उज्ज्वल, सुंदर, अच्छी तरह से निर्मित इमारत वास्तव में किस पर टिकी हुई है?


उत्तर : इसकी नींव पर टिका है।


(ङ) आमतौर पर दुनिया का ध्यान किस ओर जाता है?


उत्तर: दुनिया का ध्यान आमतौर पर ऊपरी आवरण और चमक की ओर जाता है।


(च) नींव की ईंट को हिलाने का क्या परिणाम होगा?

उत्तर : इसके फलस्वरूप नींव के ऊपर के सभी भवन, सभी धाराएं शाही होकर गिरेंगी।


(छ) सुन्दर सृष्टि हमेशा क्या खोजती है?


उत्तर: बलिदान मांगता है।


(ज) लेखक के अनुसार गिरजाघरों के कलश वास्तव में किसकी शहादत से चमकते हैं?


उत्तर: कई गुमनाम लोगों की शहादत से चमकता है जिन्होंने खुद को धर्म के प्रचार के लिए समर्पित कर दिया।


(झ) आज चारों ओर किसके लिए प्रतिस्पर्धा है?


उत्तर: आज भवन के कांगुरा बनने यानि खुद को प्रसिद्ध बनाने के लिए चारों ओर बहुत प्रतिस्पर्धा है।


( ञ ) पढ़े गए निबंध में 'सुंदर भवन' का क्या अर्थ है ?


उत्तर: नया सुंदर समाज।


बहुत संक्षिप्त उत्तर दें: 2-3 अंक


(क) मनुष्य सत्य से क्यों भागता है?

उत्तर: सत्य हमेशा कठिन होता है। अक्सर सच झूठ को उजागर कर देता है। कठोरता और अनाड़ीपन साथ-साथ चलते हैं। इसलिए मनुष्य कठोरता से बचने और कुरूपता से मुँह फेरने के लिए सत्य से दूर भागता है।


(ख) लेखक के अनुसार कौन सी ईंट अधिक धन्य है?


उत्तर : लेखक के अनुसार वह ईंट जो भवन को मजबूत करते हुए और बाकी ईंटों को आकाश को छूने का मौका देते हुए खुद को सात हाथ जमीन के नीचे डुबाती है और दूसरों के लिए खुद को बलिदान करती है, वह ईंट धन्य है।

(ग) नींव की ईंट की क्या भूमिका है?

उत्तर: नींव की ईंट वह ईंट है जो इमारत की मजबूती और मजबूती को बनाए रखती है। बाकी सारी ईंट नींव की ईंट पर ही निर्भर करती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि नींव की ईंट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है।


(घ) कंगूर ईंट की भूमिका की व्याख्या करें।

उत्तर: कंगूर ईंटें इमारत की ऊपरी सुंदरता को दर्शाती हैं, और यह अपनी बनावट और सुंदरता से लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल होती है।


(ङ) कौन लोग शहादत का लाल सेहरा पहनते हैं और क्यों?


उत्तर : शहादत का लाल सेहरा वही लोग पहनते हैं जो देश के लिए अपना वजूद दे देते हैं। ताकि बाकी लोग इस दुनिया का अच्छे से लुत्फ उठा सकें।


(च) लेखक के अनुसार ईसाई धर्म को किसने और कैसे अमर बनाया?


उत्तर : लेखक के अनुसार, ईसाई धर्म के प्रचार में बलिदान देने वालों ने ईसाई धर्म को अमर कर दिया था। बिना स्वार्थ के उन्हें हंसते हुए सूली पर चढ़ा दिया गया, कई जंगलों में भटक रहे जंगली जानवरों के शिकार हो गए। अपने बलिदान के बल पर उन्होंने ईसाई धर्म को अमर कर दिया। वह कभी नाम कमाना या प्रसिद्ध होना नहीं चाहता था। आज ईसाई धर्म उनका उपहार है।


(छ) आज देश के युवाओं के सामने क्या चुनौती है?


उत्तर : आज हमारे देश के युवाओं के सामने चुनौती है कि समाज का नवीनीकरण करें और निर्माण करते समय भवन का पालना बनने के बजाय नींव की ईंट बनने का इरादा और साहस रखें। ताकि उनके हाथों में एक सुंदर भविष्य का निर्माण किया जा सके।


संक्षिप्त उत्तर दें: 4-5 अंक

(ए) मनुष्य एक सुंदर इमारत का किनारा देखते हैं, लेकिन वे इसकी नींव पर ध्यान क्यों नहीं देते हैं?


उत्तर: सुंदरता हमेशा दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इमारत के चील भी सुंदर दिखते हैं। क्योंकि वह अपने आकार, बनावट और सुंदरता के शीर्ष पर रहकर सभी का ध्यान खींचने में सक्षम हैं। लेकिन खूबसूरत कंगूर के नीचे दबी हुई नींव की ईंट को कोई नहीं देखता, इसलिए वह खुद नहीं चाहता कि कोई उसे देखे, उसकी तारीफ करे। इसे करें। यही कारण है कि मनुष्य का ध्यान नींव की ईंट की ओर नहीं बल्कि कंगूर की ओर जाता है।


(ख) लेखक ने कंगूर के गीत गाने के बजाय फाउंडेशन के गीत गाने का आह्वान क्यों किया है?


उत्तर: किसी भी इमारत की मजबूती नींव की ईंट पर निर्भर करती है। नींव की ईंट जितनी मजबूत होगी इमारत उतनी ही मजबूत होगी। लेकिन विडंबना यह है कि जिस ईंट पर वह खूबसूरत आलीशान इमारत खड़ी है, उसकी तारीफ कोई नहीं करता, बल्कि इमारत की खूबसूरती को देखकर हर कोई उसकी तारीफ करता है। दरअसल, नींव की ईंट की भूमिका आज कंगूर का अस्तित्व है। यही कारण है कि लेखक ने सभी से कंगूर के गीत गाने के बजाय फाउंडेशन के गीत गाने का आह्वान किया है।


(ग) आम तौर पर लोग कंगूर की ईंट बनना पसंद करते हैं, लेकिन नींव की ईंट क्यों नहीं बनना चाहते?


उत्तर : लोग भवन पर कंगूर को देखकर प्रसन्न होते हैं और उसकी प्रशंसा करने लगते हैं। यानी यहां कहने का मतलब यह है कि लोग मशहूर होने के लिए या प्रशंसा पाने के लिए या किसी अन्य स्वार्थ के लिए समाज में लालची होकर अपना योगदान बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन वह समाज के लिए बलिदान या बलिदान के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि वह जानता है कि अगर वह नींव की ईंट बन जाएगा, तो उसका कोई लाभ या अस्तित्व नहीं होगा। इसलिए लोग नींव की ईंट के बजाय कंगूर की ईंट बनना पसंद करते हैं।


(घ) ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय लेखक किसे देना चाहता है और क्यों?


उत्तर: लेखक ईसाई धर्म को अमर बनाने का श्रेय उन अज्ञात, अनाम लोगों को देना चाहता है जिन्होंने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए निस्वार्थ भाव से अपना बलिदान दिया।

लेखक उन्हें श्रेय देना चाहता है क्योंकि ईसाई धर्म आज भी उनके बलिदान के लिए मौजूद है। बिना किसी लालच और स्वार्थ के उन्होंने ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में इस तरह आत्मसमर्पण कर दिया कि उनमें से कई लोगों को सूली पर चढ़ा दिया गया और कई लोग जंगल में जंगली जानवरों के शिकार हो गए। सिर्फ धर्म का प्रचार करने और धर्म को अमर बनाने के लिए उसने क्या किया?

(ङ) किसके बलिदान से हमारा देश आजाद हुआ?

उत्तर : हमारा देश उन्हीं बलिदानों से आजाद हुआ जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ और लोभ के अपने देश के नाम पर आत्म समर्पण कर दिया। उनमें से कई के नाम तो आज इतिहास में दर्ज हैं, लेकिन हमारे भारत के कोने-कोने में ऐसे हजारों लोग थे, जिनका नाम न तो समाज में आया और न ही वे समाज में खुद को मशहूर करना चाहते थे। उनमें से हजारों लोग गुमनाम होकर भी देश के लिए मरे। उन गुमनाम लोगों के बलिदान से आज हमारा देश आजाद हुआ है।


(छ) भारत के नव-निर्माण के बारे में लेखक ने क्या कहा है?


उत्तर : लेखक ने भारत के नवनिर्माण के बारे में युवाओं का आह्वान किया।

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